हर किसी को कभी न कभी प्यार होता है। कोई लाख कोशिश कर ले पर वो बच नहीं पता। फिर चाहें वो लड़का हो या लड़की, उसकी कोई भी उम्र हो। किसी ने सच ही कहा है की सच्ची मोह्हबत रंग, रूप, जिस्म आदि देख कर नहीं होती।
सच्ची मोह्हबत तो रूह का मिलना है, जिस्म का मिलना तोह बीएस बहाना है ।
मेरा प्यार मोह्हबत के बारे मे बस यही ख्याल है। मेरा नाम राहुल है नहीं वो फिल्म वाला नहीं। उम्र २० साल, एक साधारण से परिवार का लड़का। जब से होश संभाला मम्मी पापा ने बस लहि सिखाया की कभी किसी का बुरा मत करो। कभी किसी लड़की के साथ मज़ाक मत करो, उसे तंग मत करो, न ही उसे बारे में बुरा सोचो। क्युकी सोचो जब कोई तुम्हारी बहन के साथ ऐसा करेगा तोह युम्हे कितना बुरा लगेगा।
ये बात उन दिनों की है जब मैं अपनी ग्रेजुएशन के लिए हरयाणा के एक जाने माने कॉलेज में अडंमिशन लिया। मेरा एडमिशन सीधा सेकंड ईयर मे हुआ क्युकी मैंने डिप्लोमा किया हुआ था। जितने भी बचो का एडमिशन उस साल हुआ बस उन्ही के साथ दोस्ती हुई। हॉस्टल में भी हमे एक साथ, एक ही फ्लोर पे रूम मिला। एक दो को छोड़ कर हम सब लड़कियों से दूर रहते थे।
यूनिवर्सिटी में बोहोत से ग्रुप थे। जिसको जो ग्रुप अच्छा लगता था उसने वो ग्रुप ज्वाइन कर लिया। ऐसे ही मैंने भी एक ग्रुप ज्वाइन किया जिसमे बस दूसरों की मदद करनी थी। सब कुछ बढ़िया च रहा था, फिर फाइनल ईयर में आते ही सब कुछ बदल गया। एक लड़की, रागनी, जिससे मुलाकात तोह बोहोत पहले ही हो गयी थी, पर अब बातें बढ़ गयी थी। लगभग सार दिन उसी से बात होती थी और रात में भी करीब १-२ बजे तक बातें करते थे। मुझसे पहले किसी ने भी ऐसे बात नहीं की थी। मेरे लिए ये सब नया था। बातें जैसे जैसे बढ़ी मुझे उससे प्यार होने लगा। पर उसे बताने की हिम्मत मुझमे बिल्क्लुल भी नहीं थी।पर जैसे वो मुझसे बातें करती थी मुझे लगता था की वो मुझे पसंद करती है। फिर बड़ी हिम्मत करके उसे एक दिन मैसेज कर के बता दिया की उसे पसंद करता हूँ और उससे प्यार हो गया है। ये मैसेज मैंने रात को करीब २ भी किया था क्युकी वो उस टाइम सो गयी थी। बड़ी मुश्किल से मुझे ३-३ बजे नींद आई। पता नहीं कैसे इतनी लेट सोने के बाद भी मेरी आँख सुबह ६:३० ही खुल गयी। उठते ही अपना फ़ोन उठाया और इंटरनेट ों किया और नोटिफिकेशन में व्हाट्सअप का मैसेज आया। वो नोटिफिकेशन देखकर बोहोत ख़ुशी भी हुई और डर भी लग। बड़ी हिम्मत करके जब मैसेज खोला और पढ़ा तोह बड़ा अजीब सा लगा। उसमे लिखा था की मैं ऐसा भी सोचती, पर आप बुरा फील मत करना और मेरे से बात करना बंद मत कर देना। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तोह मैंने उससे बात करनी थोड़ी कम कर दी ताकि मुझे उससे और प्यार न हो या फिर कह लो की मैं उसे कोई तकलीफ न दूँ, या फिर उसे मेरी किसी बात का बुरा न लगे। फिर कुछ ऐसा हुआ जो आपको बता भी सकता क्युकी अब भी उन लम्हो के बारे में बात करता हूँ तोह मेरे आसूं निकल जाते हैं और मैं अब उन पलों को याद करके रोना नहीं चाहता।
अब हमारी बिलकुल भी बात नहीं होती। अगर कॉलेज में कभी नज़रों के सामने भी आ जये तोह नज़रें चुरा लेते हैं। आज भी उसकी याद आये तोह बड़ा अजीब सा लगता है। जब भी उसकी याद आती है तोह बस ये सोच के दिल को दिलासा दे देता हूँ की जो होता है अच्छे के लिए होता है। ये थी मेरे पहले प्यार की आधी अधूरी सचाई। उम्मीद है की सही वकत पर कोई परफेक्ट जीवन साथी मिलेगा।